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Tuesday, September 14, 2010

हिंदी दिवस पर

हिंदी दिवस पर
 आज नहीं तो कल विश्व क्षितिज 

               पर चमकेगा "हिंदी का सूर्य"

 सविंधान का जैसा उल्लंघन भारत में होता है ,दुनिया में कहीं नहीं होता.14 सितम्बर 1949 को सविंधान में हिंदी को राजभाषा बनाया गया और कहा गया कि धीरे-धीरे अंग्रेजी को हटाया जायेगा,लेकिन सविंधान को लागु हुए आज 61 वर्ष हो गए हैं , इन 61 सालों में हुआ क्या?यही न कि अंगरेजी को जमाया जाय.और अंग्रेजी जम गयी.ऐसी जमी कि राष्ट्रपति ,प्रधान मंत्री तक हिंदी में बोलने से कतराते हैं.उन्हें अंग्रेजी का लफ्ज प्रयोग करने में जरा सी भी शर्म नहीं आती है.वे जरा भी नहीं सोचते कि हम आजाद भारत देश के जनप्रतिनिधि हैं.जब वे अंग्रेजी में बोलते  हैं तो  उन्हें देश कि लगभग सौ करोड़ गूंगी -बहरी जनता सुन रही होती है?क्यों कि वे तो केवल पॉँच से सात प्रतिशत जनता के लिये रेडियो व टेलीविजन पर बोल रहे होते हैं.
में यह नहीं  कहता कि अंग्रेजी का विरोध होना चाहिए,
अंग्रेजी का विरोध बेईमानी होगा.क्यों कि किसी भी भाषा व साहित्य का विरोध तो कोई मुर्ख ही करेगा.जो जितनी अधिक भाषा जानेगा,उसके दिमाग कि उतनी अधिक खिड़कियाँ खुलेंगी.उसकी दुनिया उतनी अधिक बड़ी होगी.उसके संपर्कों की,अनुभूतियों क़ी व सूचनाओं का व्यापक क्षेत्र होगा.लेकिन आज अपने देश में कुछ अजीब सा खेल खेला जा रहा है,जिसके चलते स्वभाषाओं के सारे दरवाजे खिड़कियाँ बंदहोते  जा रहे हैं.जो काम सारे दरवाजे व खिड़कियाँ कर सकती हैं ,उसे केवल एक खिड़की से किया जा रहा है,उस खिड़की का नाम है " अंग्रेजी".कहते हैं की अगर आप अंग्रेजी नहीं जानते तो कुछ नहीं जानते.आज मुझे यह कहने में जरा सा भी संकोच नहीं हो रहा है कि राष्ट्र भाषा के साथ जैसा छल-कपट भारत में हो रहा है,वैसा दुनिया के किसी भी देश में किसी  भी भाषा के साथ नहीं होता है. अगर देखे तो आज देश में हिंदी का स्थान "महारानी" जैसा है,लेकिन उससे काम नौकरानी जैसा लेते हैं.आज पूरे देश में "हिंदी दिवस "मनाया जा रहा है,सभी जगह हिंदी कि आरती उतारी जाएगी,लेकिन  तिलक तो अंग्रेजी के माथे पर लगाया जाएगा.सयुंक्त राष्ट्र में हिंदी हमारी नाक है, लेकिन स्वराष्ट्र में हम अंग्रेजी के जूठन को चाटने में जरा सा भी शर्म महसूस नहीं करते.
यह सही है कि अंगरेजी दुनिया के सिर्फ चार-पॉँच देशों क़ी भाषा होते हुए भी आज सौ से अधिक देशों में इस्तमाल कि जाती है.लेकिन हिंदी भी दुनिया के लगभग दर्जन भर देशों में बोली जाती है.आज विश्व में सौ से अधिक देश ऐसे हैं जहाँ पर आप को कुछ न कुछ हिंदी भाषी जरुर मिल जाएँगे . आप मारीशस जाएँ,सूरीनाम जाये या फिर फिजी जाएँ,वहाँ हिंदी का ही अधिपत्य है ,हाँ यह जरुर है कि वहाँ कि हिंदी भाषा में बदलाव आ गया है.वह भी क्षेत्रीय भाषा के चलते .हाल में जर्मन सरकार कि एक रिपोर्ट मीडिया में आयी है,जिसके मुताबिक वहाँ पर हिंदी को लेकर लोंगों में दिलचस्पी बहुत बड़ी है.वहाँ के जर्मन हाईडेलबर्ग ,लोवर सेक्सोनी के लाइपजिंग ,बर्लिन के हम्बोलडिट एवम बान विश्विधालय में हिंदी पड़ने वालों कि संख्या में बहुत इजाफा हुआ है.
अगर हम कहें कि हिंदी आज ग्लोबल भाषा है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. नाइन -इलेवन कि घटना के बाद अमेरिका ने भी हिंदी भाषा को महत्त्व देना शुरु कर दिया है. कयोंकि उस घटना के बाद सुपर कम्पूटर में सारी दुनिया से आये सभी भाषाओँ के ई.मेलों को खगालना पड़ा .तभी से अमेरिका ने निर्णय लिया कि वह भी अपने देश में स्कूलों में चीनी,रुसी के साथ -साथ हिंदी भाषाओँ के  पठन - पाठन में कि खास व्यवस्था करेगा.आज उस पर वहाँ काफी ध्यान दिया जा रहा है.संचार तकनिकी ने हिंदी के क्षेत्र को और व्यापक बना दिया है.आज दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने में हिंदी के  ई-मेलों का आदान-प्रदान हो रहा है.हिंदी के वेब साईट एवम पोर्टल खुलते  जा रहे हैं अगर कहें कि हिंदी के पीछे संस्कृत का अपर शब्द भंडार है ,करोड़ों लोंगों का वयवहार कोष है,और सैकड़ों वर्षों कि अनवरत अभ्यास है तो कोई नई बात नहीं होगी.कयोंकि आज हिंदी अपने दम-ख़म पर आगे बढ रही है.आज नहीं तो काल हिंदी का सूर्य विश्व के आकाश पर चमकने वाला ही है.
  

प्रदीप श्रीवास्तव 

Sunday, September 5, 2010

इंदूर हिंदी समिति की बैठक संपन्न

चित्र में दिखाई दे रहे हैं सर्वश्री  राजीव दुआ ,मोहन भाई वेदांत ,ओम प्रकाश जाजू , घनश्याम    पाण्डे,राज कुमार सूबेदार,श्रीराम सोनी, डॉ ओ.एम.शेख ,पवन पाण्डे ,सनिल दायमा, पार्षद श्रीबल्लभ  सारडा,प्रदीप श्रीवास्तवा ,श्रीमती अनुपमा सूबेदार ,श्रीमती कुसुम श्रीवास्तवा ,श्रीमती रंजू दुआ.
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 इंदूर हिंदी समिति की बैठक संपन्न 
हिंदी दिवस,माह व् पखवाड़े  तक ही नहीं सिमटी है हमारी हिंदी ,हमारी आप की अपनी जुबान तो हिन्दुस्तानी है.जो सहज,सरल एवम ग्राह्य है. इसमें उर्दू की नफासत है तो देवनागरी का ठाठ अंदाज और अंग्रेजी का एटीटियुद भी.इस बात को यकीन के साथ कह सकते हैं कि हिंदी नई शबदावली के साथ आगे बढ़ रही है .इसी उद्देश्य को लेकर आंध्र प्रदेश के निज़ामाबाद (भविष्य में तेलंगाना )में इंदूर हिंदी समिति कि स्थापना एक लम्बे समय से कि गई है.जिसका सीधा  सा अर्थ है गैर हिंदी भाषी क्षेत्र में हिंदी के अलख को जलाये रखना .इसी सन्दर्भ में रविवार 5 सितम्बर शिक्षक दिवस (2 0 1 0 ) को निज़ामाबाद के सुखजीत स्टार्च मिल के अतिथि गृह में इंदूर हिंदी समिति कि एक बैठक समिति के अध्यक्ष राजीव दुआ ,मोहन भाई वेदांत ,ओम प्रकाश जाजू एवम घनश्याम पाण्डे की अध्यक्षता में संपन्न हुई ,जिसमें निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार द्वारा श्रेष्ठ शिक्षिका से सम्मानित श्रीमती हरबंस कौर एवम आदर्श हिंदी महा विधालय के पूर्व  प्राचार्य डॉ ओ.एम्.शेख को चेन्नई विश्व विधालय द्वारा "निज़ामाबाद में मार्केटिंग वयवस्था " पर  लिखे गए शोध के लिए डाक्टरेट कि उपाधि प्रदान करने पर  आगामी 25 सितम्बर को समिति द्वारा आयोजित एक समारोह में सम्मानित किया जायेगा.इस अवसर पर एक संगोष्ठी भी हिंदी में राखी जाएगी.जिसमें बाहर से हिंदी के प्रतिष्ठित विद्वान् को आमंत्रित किया जायेगा.इसके साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि हर माह के तीसरे शनिवार को समिति कि बैठक होगी ,जिसकी सूचना हर सदस्य को एस.एम. एस .द्वारा दे दी जाएगी.वहीँ यह भी निर्णय लिया गया कि वर्ष के अंत तक एक व्यापक स्तर पर कवि सम्मलेन का भी आयोजन किया जायेगा.जिसमें स्थानीय कवियों के साथ ही बाहर के प्रतिष्ठित कवियों को भी आमंत्रित किया जायेगा. जिस पर सभी सदस्यों नए अपनी अनुमति प्रदान कर दी.बैठक में सर्व श्री  राजीव दुआ ,मोहन भाई वेदांत ,ओम प्रकाश जाजू , घनश्याम पाण्डे,राज कुमार सूबेदार,श्रीराम सोनी,
 डॉ ओ.एम.शेख ,पवन पाण्डे ,सनिल दायमा, पार्षद श्री बल्लभ सारडा,प्रदीप श्रीवास्तवा ,श्रीमती अनुपमा सूबेदार ,श्रीमती कुसुम श्रीवास्तवा ,श्रीमती रंजू दुआ आदि उपस्थित थीं.

इंदूर हिंदी समिति एक नजर में 
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अध्यक्ष :राजीव दुआ 
उपाध्यक्ष :(1) ओ .एम.शेख 
             (2)श्रीमती ज्योत्स्ना शर्मा 
मंत्री:       एडोकेट राज कुमार सूबेदार 
उपमंत्री: पवन पाण्डे 
कोषाध्यक्ष :घनश्याम पाण्डे
संरक्षक: सर्वश्री मोहन भाई वेदांत,ओम प्रकाश जाजू ,विजय कुमार मोदानी ,सीताराम पाण्डे,दामोदर लाल जोशी,प्रदीप श्रीवास्तव ,श्रीमती हरबंस कौर .
सदस्य :सर्वश्री श्रीबल्लभ सारडा ,चन्द्र प्रकाश मोदानी,श्रीराम सोनी ,जुगल किशोर झंवर ,सुनील दायमा ,जीतेन्द्र मालानी,घनश्याम व्यास, श्रीमती सुषमा बोधनकर,
श्रीमती रंजू दुआ, श्रीमती अनुपमा सूबेदार ,श्रीमती कुसुम श्रीवास्तव.

Saturday, September 4, 2010

इंदूर हिंदी समिति निज़ामाबाद 
में  आप का स्वागत है 
शिक्षक  दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 
 इंदूर हिंदी समिति परिवार 
निज़ामाबाद  आन्ध्र प्रदेश